नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार की अनुमति के बिना ही सीबीआई के किसी मामले की जांच करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ममता बनर्जी सरकार के लिए राहत की खबर है। शीर्ष अदालत ने उसकी अर्जी को सुनवाई के योग्य माना है। इसके अलावा केंद्र सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि यह अर्जी सुनवाई के योग्य नहीं है। अदालत ने कहा कि बंगाल सरकार ने कानूनी पहलू उठाया है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए।
अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख तय
शीर्ष अदालत ने अब अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख तय की है। बेंच ने कहा कि यह मामला इस बात का है कि जब राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के लिए दी गई अपनी सहमति को वापस ले लिया तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है। इस तरह अदालत ने साफ कर दिया कि सीबीआई के लिए किसी भी राज्य में मामले दर्ज करने के लिए जरूरी है कि वहां की सरकार से इसकी परमिशन ली गई हो। अदालत ने कहा, ‘इस मामले में सवाल यह है कि जब राज्य ने परमिशन वापस ले ली है तो फिर क्या सीबीआई केस दर्ज कर सकती है। क्या ऐसा करना दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टेबलिशमेंट ऐक्ट के खिलाफ है।’
नवंबर 2018 में सीबीआई की एंट्री की थी बैन
दरअसल बंगाल सरकार ने नवंबर 2018 में ही राज्य के मामलों में सीबीआई जांच को लेकर दी गई सहमति वापस ले ली थी। इसके बाद भी सीबीआई ने संदेशखाली समेत कई मामलों में जांच शुरू कर दी है। इसी के खिलाफ बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। राज्य सरकार ने यह अर्जी संविधान के आर्टिकल 131 का हवाला देते हुए दायर की थी। इसके तहत केंद्र और राज्य के बीच विवाद होने पर सुप्रीम कोर्ट अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आदेश जारी कर सकता है।