मुंबई। प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर मामले में महाराष्ट्र सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। पूजा खेडकर सत्ता के दुरुपयोग और संघ लोक सेवा आयोग की उम्मीदवारी के दौरान अपने दावों की सत्यता को लेकर विवादों में घिरी हैं। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गराडे की अध्यक्षता वाली महाराष्ट्र सरकार की समिति ने एक सप्ताह की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय समिति को भी भेज दी है।
केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को दो सप्ताह में प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर के खिलाफ जांच करके अपनी रिपोर्ट देनी है। महाराष्ट्र सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त दस्तावेजों को भी जोड़ा है। 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के सिविल सेवा में शामिल होने के लिए किए गए दावों की सत्यता की जांच चल रही है। पूजा खेडकर ने खुद के ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर से संबंधित होने का दावा किया था, लेकिन उनके पिता, जो पूर्व सिविल सेवक रहे हैं, उन्होंने अपनी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई थी।
साथ ही पूजा खेडकर ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में रियायत पाने के लिए खुद के दिव्यांग होने का दावा किया था, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए होने वाली जरूरी चिकित्सा जांच में पूजा खेडकर शामिल नहीं हुईं थी। उन पर बाहर से कराई गई चिकित्सा जांच रिपोर्ट संघ लोक सेवा आयोग को देने का आरोप है। पूजा खेडकर विवादों में तब आईं, जब ट्रेनी आईएएस के तौर पर पुणे में काम करने के दौरान उन पर निजी ऑडी कार पर नीली-लाल बत्ती लगाकर चलने का आरोप लगा। साथ ही उन्होंने अलग घर और कार की भी मांग की, लेकिन ये विशेषाधिकार जूनियर अधिकारियों को उपलब्ध नहीं है।
मीडिया के अनुसार महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट में पूजा खेडकर के पुणे के कलेक्टर से अभद्र व्यवहार करने का भी जिक्र है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर पूजा खेडकर दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। साथ ही उनके खिलाफ तथ्यों को छिपाने और गलत बयानबाजी करने के आरोप में आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है।