नई दिल्ली । केंद्र सरकार (Central government)ने स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों (higher education institutions)को अगले तीन वर्ष के भीतर भारतीय भाषाओं (Indian languages)में सभी पाठ्यक्रमों के लिए अध्ययन सामग्री (study material)डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों को उनकी अपनी भाषा में अध्ययन करने का अवसर प्रदान करना है।
शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने एक बयान में कहा, ”सरकार ने सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा नियामकों जैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), एनआईओएस, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), आईआईटी, सीयू और एनआईटी को अगले तीन वर्ष में सभी पाठ्यक्रमों के लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।”
बयान में कहा गया है, ”यूजीसी, एआईसीटीई और स्कूल शिक्षा विभाग को भी राज्य के स्कूलों और विश्वविद्यालयों के संबंध में मुद्दा उठाने के लिए कहा गया है।” इसमें कहा गया है, ”उपरोक्त निर्देश हर स्तर पर शिक्षा में बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के तहत दिये गये हैं, ताकि छात्रों को अपनी भाषा में अध्ययन करने का अवसर मिल सके।
इसमें कहा गया है कि अपनी भाषा में अध्ययन करने से छात्रों को बिना किसी बाधा के नवोन्मेषी ढंग से सोचने का स्वाभाविक मौका मिल सकता है। बयान में कहा गया है कि स्थानीय भाषाओं में सामग्री मिलने से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी।
मंत्रालय ने कहा, ”सरकार पिछले दो वर्ष के दौरान पहले से ही इस दिशा में काम कर रही है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, कानून और कौशल पुस्तकों का अनुवाद अनुवादिनी एआई आधारित ऐप के माध्यम से किया जा रहा है।” इसने कहा कि ये किताबें ई-कुंभ पोर्टल पर उपलब्ध हैं और स्कूली शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में भी अध्ययन सामग्री कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।