कानपुर। शोध के निष्कर्षों में खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स और सौंदर्य प्रसाधन जैसे उद्योगों में अनुप्रयोगों की अपार संभावनाएं हैं। जहां मेयोनेज़, एंटासिड इमल्शन, शैंपू और बॉडी क्रीम जैसे बाइनरी इमल्शन निर्मित किये जाते हैं, वहीं बाइनरी फ्लूइड डायनेमिक्स के रहस्यों को उजागर किया है। बुधवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर सुप्रतिक बनर्जी ने इस संबंध में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्ष विनिर्माण और संरक्षण प्रक्रियाओं में आवश्यक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। इससे उत्पादन के तरीके अधिक कुशल हो सकते हैं, अपशिष्ट और लागत कम हो सकती है। बाइनरी फ्लूडस् के अद्वितीय रिलैक्स गुणों को समझकर, कंपनियां अपने उत्पादों की स्थिरता को अनुकूलित कर सकती हैं, जिससे लंबी शेल्फ लाइफ और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकती है।
उन्होंने आगे बताया कि इसके अतिरिक्त, फार्मास्यूटिकल्स में, जहां कुछ दवाओं की प्रभावकारिता के लिए इमल्शन की स्थिरता महत्वपूर्ण है, इस शोध से दवा निर्माण में वृद्धि हो सकती है, जिससे अंततः रोगी के उपचार में सुधार हो सकता है। उन्होंने बताया कि शोध का एक उल्लेखनीय पहलू यह है कि यह चयनात्मक क्षय के व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धांत को चुनौती देता है, एक ऐसा सिद्धांत जो लंबे समय से टर्बूलेंट रिलैक्स की समझ पर हावी है, लेकिन बाइनरी फ्लूडस् की शिथिल अवस्था में परिमित दबाव प्रवणता को ध्यान में रखने में विफल रहता है।
उन्होंने बताया कि औद्योगिक सेटिंग्स में इन निष्कर्षों का अनुप्रयोग न केवल उत्पाद की गुणवत्ता और स्थिरता को बढ़ाएगा, बल्कि फॉर्मूलेशन और प्रसंस्करण तकनीकों में नवाचार को भी बढ़ावा देगा, जिससे संभावित रूप से नए उत्पादों और अनुप्रयोगों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
प्रोफेसर सुप्रतिक बनर्जी ने बताया कि बाइनरी फ्लूडस् पर यह महत्वपूर्ण शोध, तेल और पानी जैसे मिश्रण का जिक्र करते हुए, टर्बूलेंट रिलैक्सेशन के मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती देता है और विज्ञान, इंजीनियरिंग और विभिन्न उद्योगों में बाइनरी फ्लूड डायनेमिक्स के व्यावहारिक अनुप्रयोग में नए रास्ते खोलता है।