नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या, माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहलाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनुष्य को मौन रहते हुए गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए।
मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। माना जाता है कि इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस बार माघ अमावस्या 9 फरवरी को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म हुआ था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है।
मौनी अमावस्या का महत्व
शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। कहा जाता है कि माघ के महीने में देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। इस दिन किया गया जप,तप,ध्यान,स्नान,दान और हवन कई गुना फल देता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रखना, गंगा स्नान करना और दान देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन रखते हैं मौन व्रत
मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और अमृत के समान फल मिलता है। माघ अमावस्या पर मौन रहने का भी विशेष महत्व बताया गया है। अगर इस दिन मौन रहना संभव न हो तो भी अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और गलती से भी अपने मुंह से कटु वचन न निकालें। पुराणों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मन की स्थिति कमजोर होती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम रखना चाहिए। माघ अमावस्या दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा-अर्चना की जाती है।
मौनी अमावस्या व्रत के नियम
मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन व्रत का संकल्प लेने के बाद मौन रहने का प्रयास करना चाहिए। इस दिन भूखे व्यक्ति को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है। माघी अमावस्या के दिन अनाज,वस्त्र,तिल,आंवला,कंबल,पलंग,घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए। माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मन, कर्म और वाणी के जरिए किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए।
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