नई दिल्ली । समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब अखिलेश यादव की ‘साइकिल’ से पूरी तरह से उतरने की तैयारी कर ली है. स्वामी प्रसाद मौर्य 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अपने सियासी भविष्य को लेकर बड़ा ऐलान करेंगे।
सपा छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल होने और उसकी बैसाखी बनने के बजाय अब वो अपनी खुद की नई पार्टी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है, जिसका नाम, एजेंडा और रूप रेखा सब कुछ तय है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी बनाने का संकेत रविवार को रायबरेली के राही ब्लॉक में एक कार्यक्रम के दौरान दिया. 22 फरवरी 2024 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी ने कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाया, जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हो रहे हैं. सूत्रों की मानें तो इसी कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी नई पार्टी के नाम का ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि रायबरेली के राही में उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा है कि 22 जनवरी को दिल्ली में बड़ा राजनीतिक फैसला लेंगे।
स्वामी प्रसाद की नई पार्टी का नाम
विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य की नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी हो सकता है. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का गठन साल 2013 में हुआ है. यूपी और एमपी में पार्टी चुनाव लड़ चुकी है. यूपी में 2019 का लोकसभा और 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ी थी. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष की कमान फिलहाल दिलीप चौधरी के हाथों में है, जो स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं. यही वजह मानी जा रही है कि स्वामी प्रसाद मौर्य 22 जनवरी को राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन नें अपने शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं।
स्वामी के साथ कौन-कौन होंगे शामिल
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम, पूर्व एमएलसी कमलकांत गौतम, सपा नेता और पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति जैसे तमाम नेता राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं. इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ 2022 में सपा में शामिल होने वाले नेताओं के भी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी में शामिल होने की उम्मीद मानी जा रही है, जिसमें कुछ मौजूदा विधायक और पूर्व विधायक भी है।
RSSP का सियासी एजेंडा क्या होगा?
स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों दलित-पिछड़ों की सियासत को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. सामाजिक न्याय के मुद्दे पर वो मुखर है, जिसे लेकर ही सपा के महासचिव पद से उन्होंने इस्तीफा दिया है. इसके चलते ही माना जा रहा है कि राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के जरिए दलित और पिछड़ों के एजेंडे को लेकर चलेंगे. बसपा संस्थापक कांशीराम और डॉ अंबेडकर की सियासी विचारधारा को समर्थक स्वामी प्रसाद माने जाते हैं. कांशीराम की सियासी प्रयोगशाला से निकले हैं, जिसके चलते ब्राह्मणवाद के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रहते हैं. बसपा में रहते हुए इस तरह की राजनीति करते रहे हैं, लेकिन सपा में नहीं कर पा रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा में शामिल होने वाले पूर्व विधायक बृजेश प्रजापित कहते हैं कि अखिलेश यादव विचारधारा के स्तर पर बहुत ही कन्फ्यूज है. पीडीए की वो सिर्फ बात करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उस पर अमल नहीं करते हैं. सपा के साथ रहते हुए दलित और पिछड़ों की सियासत नहीं की जा सकती है, क्योंकि उनके एजेंडे में तो सामाजिक न्याय का मुद्दा है ही नहीं. सपा पर बड़ा आरोप लगाते हुए बृजेश प्रजापित कहते हैं कि अखिलेश यादव ने बीजेपी के साथ मिले हुए हैं और 2024 में बीजेपी को हराने नहीं बल्कि पर्दे के पीछे से जिताने का काम कर रहे हैं।
पूर्व विधायक बृजेश प्रजापित ने रामगोपाल यादव पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सपा को मजबूत करने के बजाय वो कमजोर करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) को लेकर अब स्वामी प्रसाद मौर्य चल रहे है, लेकिन सपा में कुछ चंद लोग उसे सफल नहीं होने देना चाहते हैं. ये लोग एक खास जाति के हैं, जिनका सामाजिक न्याय से कोई ताल्लुक नहीं है. ऐसे में अब आगे की राजनीतिक 22 जनवरी को दिल्ली में तय होगी और उसके जरिए ही आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा।
RSSP का चुनाव निशान-झंडा
राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का झंडा तीन रंग से मिलकर बना हुआ है, जिसमें सबसे ऊपर नीली रंग, बीच में लाल और नीचे हरा रंग को रखा गया है. नीला रंग आसमान का रंग है, ऐसा रंग जो भेदभाव से रहित दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है. ये बताता है कि आसमान के तले हर किसी को बराबर होना चाहिए. ये एक थ्योरी है लेकिन इसका कोई पुख्ता आधार नहीं. बीआर अंबेडकर ने जब अपनी पार्टी इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की नींव रखी तो इसका रंग नीला था. उन्होंने ये रंग महाराष्ट्र के सबसे बड़े दलित वर्ग महार के झंडे से लिया. लिहाजा दलित समाज ने इस रंग को अपनी अस्मिता और प्रतीक के रूप में लिया. उन्होंने इस रंग को अपनाया. लाल रंग क्रांति का रंग माना जाता है. लाल रंग उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नवजीवन का प्रतीक है. लाल रंग उग्रता का भी प्रतीक है. हरा रंग समृद्धि का प्रतीका माना जाता है. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का चुनाव निशान गिलास है।
RSSP की कमान संभालेंगे स्वामी प्रसाद
स्वामी प्रसाद मौर्य ने महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद अब अखिलेश यादव का साथ छोड़ने का मन लगभग बना लिया है. स्वामी प्रसाद 22 फरवरी को दिल्ली में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के कार्यक्रम में शिरकत करने के साथ-साथ पार्टी की कमान संभालने का ऐलान भी हो सकता है. सूत्रों की मानें तो पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष दिलीप चौधरी अपना इस्तीफा देंगे और उसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने का ऐलान किया जाएगा. इस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य के अध्यक्ष बनने का प्लान बनाया गया है और उसके बाद पार्टी के विस्तार के लिए अपना एजेंडा रखेंगे?