नई दिल्ली । किसी भी देश के आगे बढ़ाने में समाज के शिक्षित लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर भले ही बेहतर हो, लेकिन यहां गुणात्मक शिक्षा लंबे वक्त से दूर ही नजर आ रही है। साल 2024-25 के बजट में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में 9 हजार 560 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है।
इससे हिमाचल प्रदेश के युवाओं को शिक्षा के बेहतर मौके मिल सकेंगे. हिमाचल प्रदेश सरकार ने उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए पहले चरण में प्रदेश में पांच राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल खोलने का भी फैसला लिया है. इनमें लाहडू, नगरोटा बगवां, अमलेहड़, भोरंज और संगनाई में राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल बनाए जाएंगे।
आज के बच्चे कल का भविष्य भारत बनाएंगे
शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बतौर वित्त मंत्री पेश किए बजट के दौरान कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि आज के बच्चे कल का भविष्य भारत बनाएंगे. जिस तरह से हम उनका पालन पोषण करेंगे, वही देश का भविष्य तय करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार हिमाचल प्रदेश में बच्चों को गुणात्मक शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था समावेशी समानता और भविष्य निर्माण के साथ नई तकनीक के प्रति सजग और भारतीय जीवन मूल्यों के प्रति संवेदनशील होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार कर रही है।
पहली क्लास से शुरू होगी अंग्रेजी की पढ़ाई
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विभिन्न शोध से यह स्पष्ट होता है कि भाषा सीखने का सबसे अच्छा समय 12 साल की उम्र तक होता है. ऐसे में राज्य सरकार ने पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम का विकल्प शुरू करने की बात कही है. इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश में स्कूल स्तर पर 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली लागू करेगी. इसमें तीन साल का प्री स्कूल बाल वाटिका पाठ्यक्रम भी शामिल होगा. हिमाचल प्रदेश में अभी 6 हजार से अधिक प्राथमिक पाठशाला में प्री स्कूल चलाए जा रहे हैं. इस व्यवस्था को सुधार करने के लिए आगामी वित्त वर्ष में 6 हजार नर्सरी टीचर भी नियुक्त किए जाएंगे. पात्र आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी नर्सरी अध्यापक बनने का अवसर मिलेगा।
शिक्षकों के परफॉर्मेंस का होगा रिव्यू
हिमाचल प्रदेश में साल 2024-25 के बजट में स्कूलों और समाज के बीच बेहतर तालमेल के लिए ‘अपना विद्यालय-मेरा विद्यालय-मेरा सम्मान’ योजना शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है. इसमें जहां एक ओर मुख्यमंत्री से लेकर खंड स्तरीय अधिकारियों तक एक-एक शिक्षण संस्थान को गोद लेंगे. वहीं, दूसरी तरफ समुदाय को स्कूलों से भी जोड़ा जाएगा. इसमें पात्र और इच्छुक व्यक्ति नि:शुल्क शिक्षा प्रदान किए जाने की व्यवस्था भी की जाएगी. हर उपमंडल में उपमंडल अधिकारी को सभी प्राइमरी स्कूल का महीने में एक दिन अनिवार्य रूप से रिव्यू मीटिंग करना आयोजन करना होगा. इस बैठक में उस स्कूल में न केवल विद्यार्थियों, बल्कि अध्यापकों की परफॉर्मेंस का भी रिव्यू होगा।