Sunday, November 24, 2024
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माताओं के लिए बहुत खास यशोदा जयंती, जानें डेट और पूजा का शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को माता देवकी ने जन्म दिया और माता यशोदा ने लालन-पालन किया। इसलिए श्रीकृष्ण के जीवन में दोनों माताओं का खास महत्व है। धर्म शास्त्रों में भी माताओं को पूजनीय स्थान दिया गया है और भगवान से पहले मां को पूजा जाता है।

क्योंकि मां एक बच्चे को दुनिया में लेकर आती है और कई दुख-तकलीफ सहकर उसका पालन-पोषण करती है। ऐसा ही माता यशोदा ने भी किया, उन्होंने श्रीकृष्ण को जन्म तो नहीं दिया लेकिन पालन-पोषण उन्होंने ही किया। इसलिए धर्म शास्त्रों में मां यशोदा को भी पूजनीय माना गया है और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यशोदा जयंती मनाई जाती है। इस दिन मां यशोदा का जन्मदिन होता है जिसे गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत ही धूमधाम के मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस साल कब है यशोदा जयंती और पूजा की विधि।

यशोदा जयंती 2024 डेट

वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 1 मार्च को सुबह 6 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 2 मार्च को सुबह 7 बजकर 53 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार यशोदा जयंती का पर्व 1 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।

यशोदा जयंती का महत्व

माताओं के लिए यशोदा जयंती का विशेष महत्व माना गया है और इस ​दिन महिलाएं अपने बच्चों की सुख-शांति व खुशहाली के लिए व्रत भी करती हैं। यह पर्व मां और बच्चे के प्रेम का प्रतीक है। कहते हैं कि यशोदा जयंती का व्रत रखने से बच्चों को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह व्रत उन महिलाओं के लिए भी खास है जो कि काफी समय से संतान प्राप्ति की कामना कर रही हैं। यदि इस व्रत को विधिपूर्वक किया जाए तो संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।

यशोदा जयंती के दिन ऐसे करें पूजा

यशोदा जयंती के दिन माताएं व्रत रखकर बच्चों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन माता यशोदा और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद मंदिन को स्वच्छ करें। फिर माता यशोदा की ऐसी तस्वीर मंदिर में स्थापित करें जिसमें कान्हा जी उनकी गोद में हों। इसके बाद तिलक करें और फल व फूल अर्पित करें। फिर माता यशोदा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और उन्हें लाल चुनरी चढ़ाएं। फिर मिठाई व मक्खन का भोग लगाएं और आरती करें। इस दिन गायत्री मंत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।  इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।

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