लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने पिछले दिनों 51 पर कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया था। इनमें से एक उम्मीदवार उपेंद्र सिंह रावत की टिकट वापसी हो चुकी है। इस तरह अब तक 50 पर उम्मीदवार फाइनल हो चुके हैं और 6 सीटें गठबंधन के साथियों को देने पर सहमति बनी है। अब भाजपा को 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार और उतारने हैं। माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर पर भाजपा नो रिपीट प्लान पर काम कर रही है। शायद इसीलिए पहली लिस्ट में इन सीटों पर कैंडिडेट्स के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। इसकी वजह यह है कि भाजपा सामाजिक समीकरण, दावेदारों की स्थिति का आकलन करना चाहती है।
इसके अलावा कांग्रेस, सपा और बसपा के उम्मीदवारों के ऐलान का भी इंतजार हो रहा है। खासतौर पर रायबरेली में कांग्रेस किसे उतारेगी, भाजपा यह देख लेना चाहती है। यदि रायबरेली में प्रियंका गांधी को कांग्रेस मौका देगी तो फिर उस हिसाब से टिकट दिया जाएगा। दरअसल भाजपा ने रायबरेली में पूर्व में कैंडिडेट रहे दिनेश प्रताप सिंह, सपा छोड़ने वाले मनोज पांडेय जैसे नेताओं को विकल्प के तौर पर रखा है। इसके अलावा पीलीभीत या फिर सुल्तानपुर में से किसी एक सीट पर कैंडिडेट बदला जाएगा। यानी वरुण गांधी या फिर उनकी मां मेनका गांधी में से किसी एक को ही मौका मिलेगा।
दिल्ली से सटे गाजियाबाद की सीट पर भी दो बार के सांसद वीके सिंह के टिकट पर संशय है। इस पर सीट पर 2019 में वह बड़े अंतर से जीते थे, लेकिन अब तक उनके नाम का ऐलान नहीं हुआ है। यहां से भाजपा ठाकुर उम्मीदवार देती रही है। 2009 में यहां से राजनाथ सिंह उम्मीदवार बने थे और उनसे पहले रमेश चंद तोमर 4 बार सांसद रहे थे। सिर्फ एक बार 2004 में सुरेंद्र प्रकाश गोयल को मौका मिला था। ऐसे में किसी क्षत्रिय नेता को ही टिकट मिलने की संभावना अधिक है। फिलहाल गाजियाबाद की सीट पर विकल्प खुले हुए हैं।
बरेली और गाजीपुर में भी बदलाव के हैं चर्चे
इसी तरह बरेली, गाजीपुर जैसी सीटों पर भी बदलाव की संभावना है। यहां से लगातार संतोष गंगवार सांसद रहे हैं, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए अब बदलाव के चर्चे है। गाजीपुर से सपा ने अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है। उनके मुकाबले किसे उतारा जाए। इस पर मंथन जारी है और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की राय भी इसमें अहम होगी।