नई दिल्ली। महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार की कोशिशें लगातार जारी है। प्याज, दाल, टमाटर, आटा जब भी किसी का दाम बढ़ा तो सरकार ने आगे आकर कम कीमत पर लोगों को खाने-पीने की चीजें मुहैया कराई। अब चावल ने भी आम आदमी को परेशान करना शुरू किया तो एक बार फिर सरकार नई राहत लेकर सामने आई है।
बीते एक साल में चावल की कीमत 15 फीसदी बढ़ चुकी है। इसे देखते हुए सरकार ने सस्ती दरों पर ‘भारत चावल’ बाजार में उतारा है, जो 6 फरवरी यानी मंगलवार से बिकना शुरू हो गया है।
पहले चरण में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) दो सहकारी समितियों, नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नाफेड) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीसीएफ) के साथ खुदरा केंद्रीय भंडार को पांच लाख टन चावल प्रदान करेगा। ये एजेंसियां चावल को 5 किलो और 10 किलो के पैकेट में पैक करेंगी और भारत ब्रांड के तहत अपने बिक्री केन्द्रों के माध्यम से खुदरा ग्राहकों को बेचेंगी। चावल को ई-कॉमर्स मंच के जरि बेचा जाएगा।
कितनी है चावल की कीमत
खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया है कि यह चावल सब्सिडी रेट पर उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा। इसकी शुरुआत आज शाम 4 बजे होगी। इसकी कीमत महज 29 रुपये प्रति किलोग्राम रखी गई है। सरकार ने इससे पहले थोक विक्रेताओं को यह मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के माध्यम से इसी भाव पर चावल बेचने की पेशकश की थी, लेकिन प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर खुद एफसीआई के जरिये खुदरा बिक्री करने का फैसला किया।
क्या-क्या बेच रही सरकार
सरकार को उम्मीद है कि ‘भारत चावल’ के लिए भी ग्राहकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी, जैसा कि उसे ‘भारत आटा’ के मामले में मिल रहा है। इसे सरकारी एजेंसियों के माध्यम से 27।50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है और ‘भारत चना’ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है। गौरतलब है कि चावल निर्यात पर प्रतिबंध और बीते सीजन में बंपर उत्पादन के बावजूद इसकी खुदरा कीमतों पर काबू नहीं पाया जा सका है।
जमाखोरी पर बड़ा एक्शन
सरकार ने चावल की जमाखोरी रोकने के लिए भी सख्त आदेश जारी किए हैं। सभी खुदरा और थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों से अपने स्टॉक का खुलासा करने को कहा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में जब सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज बांट रही है, भारत चावल जैसी पहल काफी अच्छी है। ऐसे में माना जा रहा है कि चावल की महंगाई एफसीआई के इतर वाली किस्मों में आ रही है, जो महंगाई की सही तस्वीर नहीं दिखाता है।