नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को पशुपति पारस ने चिट्ठी लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी। बता दें, उनका इस्तीफा ऐसे समय पर सामने आया है, जब भाजपा की लोकसभा उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी होने वाली है।
बिहार में हाजीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के सांसद पशुपति कुमार पारस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अपना नाता तोड़ लिया है। उन्होंने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, अब उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया। साथ ही आदेश दिया है कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का प्रभार सौंपा जाए।
राष्ट्रपति भवन ने बुधवार को कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पारस ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर बातचीत में अपनी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को शामिल नहीं करके उसके साथ नाइंसाफी करने का आरोप लगाया था।
एक हफ्ते पहले तक पीएम के नेतृत्व की कर रहे थे प्रशंसा
बताया जा रहा है कि एक हफ्ते पहले तक पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा कर रहे लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस ने एनडीए के सीट बंटवारे से नाराज होकर यह कदम उठाया है। सोमवार को एनडीए ने बिहार की 40 सीटों का अपने घटक दलों में बंटवारा किया था। इसमें उनके भतीजे चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी के नाम पर पांच सीटें दी गईं। चिराग और पारस, दोनों हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे और यह मौका अंतत: दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग को दिया गया।
अपना ही टिकट कटने से नाराज पारस
एनडीए के घटक दलों की सोमवार को बैठक हुई और उसके बाद दिल्ली में ही बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े ने बिहार में सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सांसद संजय झा के साथ सीटों का एलान किया। सीटों का एलान करते हुए तावड़े ने लोक जनशक्ति पार्टी का नाम लिया और पांच सीटें उसे दी। चूंकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पहले से बता रही थी कि उनके नेता को हाजीपुर और पार्टी को पांच टिकट देने का वादा हुआ है, फिर यही हुआ ही तो पारस परेशान हो उठे। पारस ने पिछले हफ्ते बिहार में संवाददाता सम्मेलन कर खुद ही कह भी दिया था कि सीटों पर उनसे किसी की बात नहीं हुई है। किसी का मतलब भाजपा से था। ऐसा माना जा रहा है कि पारस अलग पड़ने के बाद विकल्पहीन होकर इस्तीफा देने को मजबूर हुए। दरअसल, रामविलास पासवान के निधन के बाद जब चाचा-भतीजा में अनबन शुरू हुई तो मामला हाजीपुर सीट पर जाकर अटक गया। दोनों इस सीट पर अड़े और भाजपा ने अंतत: चिराग पासवान पर अपना हाथ रख दिया। इसी से पारस नाराज हो गए।
मेरे साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए दिया इस्तीफा
लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को इस्तीफे की जानकारी दिल्ली में मीडिया को दी। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी ईमानदारी और लगन के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सिपाही के रूप में मंत्रीपद संभालते हुए काम कर रहा था। पिछले हफ्ते मैंने बिहार में प्रेस को बताया था कि सीटों को लेकर मुझसे किसी की बात नहीं हुई है। मैं एनडीए की ओर से विधिवत घोषणा का इंतजार कर रहा था। सोमवार को जब एनडीए ने सीट बंटवारे की घोषणा की तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे साथ व्यक्तिगत रूप से और मेरी पार्टी के साथ भी नाइंसाफी हुई है। इसलिए, मैंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है।’
पीएम को लिखा पत्र
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को पशुपति ने चिट्ठी लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी। प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में पशुपति पारस ने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपको अवगत कराना है कि कुछ अपरिहार्य कारणों से मैं मंत्रिपरिषद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं। इस दौरान मंत्री परिषद सदस्य के नाते मुझ पर अपना विश्वास जताने के लिए आपका धन्यवाद।’ बता दें, उनका इस्तीफा ऐसे समय पर सामने आया है, जब भाजपा की लोकसभा उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी होने वाली है।