Sunday, April 20, 2025
No menu items!

मैंने तो बस प्रेम जिया है-डा. नीलिमा पाण्डेय

मैंने तो बस प्रेम जिया है।
जिससे कष्ट अपार मिला है ।

बचपन बीता,यौवन बीता,
कृष्ण – कृष्ण ही टेरा है।
छोड़ घराना,कृष्णमयी हो,
तुलसी माला, फेरा है ।
सजा मिली औ जहर पिया है।
मैंने तो बस प्रेम जिया है।

पुष्पों की थी,घनी वाटिका,
मांगा प्रियतम,पूज देविका।
वन-वन भटकी,संग प्रभु के,
साथ रही बन एक सेविका ।
कनक मृगा ने छल भी किया है!
मैंने तो बस प्रेम जिया है।

मैंने तो बस प्रेम जिया है।
जिससे कष्ट अपार मिला है।

डा. नीलिमा पाण्डेय,मुंबई

RELATED ARTICLES

Most Popular