नई दिल्ली । हरियाली अमावस्या इस साल 4 अगस्त, रविवार के दिन है। इस दिन लोग नवग्रह और पितरों की शांति के लिए पूजा करते हैं और दान देते हैं। सावन में हर तरफ हरियाली होती है, इसलिए इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस महीने में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसे श्रावण या सावन अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है. तो आईये जानते हैं….
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को एक पवित्र और पूजनीय वृक्ष माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करता है, उसे कुंडली में स्थित कई ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है. साथ ही उस व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है. आइए जानते हैं क्या है पीपल की पूजा की सामग्री और विधि? साथ ही जानते हैं पूजा से जुड़े नियम.
पूजा के नियम
– अमावस्या पर सुबह या शाम के समय पूजा करें.
– पूजा हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह करके करें.
– इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे ना सोएं.
– पीपल की जड़ में गाय का दूध चढ़ाएं.
– इस दिन पूजा के दौरान पीपल की परिक्रमा करें.
पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठना होता है और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें.
जब सूर्य देव निकलें तो जल अर्पित कर व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद अपने घर के आस-पास पीपल के पेड़ के नीचे साफ स्थान पर जाकर पूजा करें.
इस दौरान साफ स्थान पर आसन बिछाएं और पेड़ के पास घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं.
पीपल पर जल, फूल, अक्षत, रोली और दूध अर्पित करना चाहिए.
साथ ही पूजा के दौरान वृक्षाय नमः मंत्र का 21 बार जाप करें और वृक्ष की 7 परिक्रमा करें.
पूजा के बाद आप ब्राम्हण को दक्षिणा अवश्य दें.