नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में भाजपा को लोकसभा चुनाव में 33 सीटें ही मिल पाईं। इस तरह 2019 के 62 के मुकाबले पार्टी को 29 सीटें कम मिली हैं। इसके बाद से ही मंथन का दौर जारी है। यही नहीं लोकसभा चुनाव के बाद कुछ घटनाक्रम ऐसे रहे हैं, जिसके चलते योगी सरकार की भी मुश्किलें बढ़ रही हैं। यह बात हाईकमान तक भी पहुंचाई गई है। पिछले दिनों भाजपा के सहयोगी दलों अपना दल, निषाद पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा ने कुछ ऐसे बयान दिए थे, जिससे योगी सरकार के लिए मुश्किले दिखीं। अनुप्रिया पटेल ने तो सीधे सीएम योगी को पत्र लिखा था और कहा कि राज्य सरकार की नौकरियों में ओबीसी वर्ग के छात्रों का चयन नहीं हो पा रहा है।
मसला मैंने भी उठाया लेकिल समाधान नही
उनकी शिकायत थी कि इंटरव्यू में उन्हें पास नहीं किया जा रहा। इसके अलावा उन्होंने 69,000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में भी ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ गड़बड़ी का आरोप लगाया था। अनुप्रिया ने अपने पिता स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की जयंती पर योगी सरकार पर यह आरोप लगाया था। उनका ऐसा कहना इसलिए भी चुभने वाला था क्योंकि अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने भी चुनाव प्रचार में लगातार संविधान बदलने की बात कही थी। इसके अलावा आरक्षण छिनने का डर दिखाया था। अनुप्रिया पटेल का कहना था कि यह मसला मैंने पहले भी उठाया था, लेकिन समाधान नहीं हुआ। इसका नुकसान सरकार को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा।
निषाद समाज को गंभीरता से नही लिया: संजय निषाद
वहीं संजय निषाद ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसके चलते निषाद वोट कम मिले हैं। उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से निषाद समाज को अनुसूचित जाति में आरक्षण देने की मांग लंबित पड़ी है। इस समुदाय ने 2019 और 2022 में भाजपा को वोट किया था। लेकिन सरकार ने उसे गंभीरता से नहीं लिया और अब उसका एक वर्ग छिटक रहा है।’ इसी तरह ओमप्रकाश राजभर ने भी कहा था कि मोदी और योगी के नाम पर पड़ने वाला वोट कम हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सुभासपा के काडर और वोटर ने तो एनडीए उम्मीदवारों का ही समर्थन किया, लेकिन भाजपा का वोट ही कम हो गया।
भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और धांधली ने नुकसान पहुंचाया
अब भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि इन तीन नेताओं ने जो मुद्दे उठा दिए हैं, उन पर मीडिया में सवाल किए जाते हैं। इनके जवाब देना मुश्किल होता है। रिपोर्ट के अनुसार यह जानकारी प्रवक्ताओं ने संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मीटिंग में दी है। वह दो दिनों के यूपी दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने राज्य में कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात की। कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने तो साफ कहा कि भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और धांधली के आरोपों ने भी नुकसान पहुंचाया है। वहीं पूर्व सांसद रविंद्र कुशवाहा ने कहा कि सलेमपुर से वह इसलिए हारे क्योंकि कुछ नेता ही उनके विरोध में थे।