गुवाहाटी। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने म्यांमार स्थित प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) स्वाधीन (स्वा) के कैंप में पुलिस जासूस भेजने के दावों को खारिज करते हुए उल्फा (स्वा) प्रमुख से निर्दोषों को सजा न देने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि असम पुलिस द्वारा म्यांमार स्थित उल्फा (स्वा) शिविर में कोई जासूस नहीं भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानस बरगोहाईं असम पुलिस का हिस्सा नहीं हैं। बरगोहाईं ने खुद बयान दिया है कि वह ‘जेस्ट’ नामक संस्थान में पढ़ रहा था। यहां तक कि हमने क्रॉस-चेक किया है और पता चला है कि वह एक डिप्लोमा है। इंजीनियर है और सब इंस्पेक्टर (एसआई) बनने के लिए एक परीक्षा देनी होती है जो उसने नहीं दी है। इसलिए मुझे लगता है कि यह तथ्यात्मक रूप से गलत है और परेश बरुवा को गलतफहमी है। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि लड़के को दंडित न किया जाए।
इस संदर्भ में रविवार को असम पुलिस द्वारा भी स्पष्टीकरण दिया गया था कि मानस नाम के किसी भी व्यक्ति को असम पुलिस की विशेष शाखा में भर्ती नहीं किया गया था। नहीं ऐसे किसी व्यक्ति को उल्फा (स्वा) के कैंप में म्यांमार ही भेजा गया था।
उल्लेखनीय है कि यू ट्यूब के वीडियो में उल्फा (स्वा) नेताओं द्वारा संगठन के संविधान का ‘उल्लंघन’ करने के लिए मानस बरगोहाईं उर्फ मुकुट असम की गिरफ्तारी की घोषणा करते हुए दिखाया गया है। अपनी गिरफ्तारी के बाद मुकुट ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से आरोप लगाया कि उसे असम पुलिस के अधिकारियों ने उल्फा (स्वा) की जासूसी करने के लिए भेजा था। उन्होंने 2021 से असम पुलिस की विशेष शाखा के साथ अपने काम और उल्फा (स्वा) की गतिविधियों पर नजर रखने के मिशन में अपनी भागीदारी का आरोप लगाया था।