नई दिल्ली । अयोध्या में रामलला (Ramlala in Ayodhya)की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां (preparations)शुरू हो चुकी हैं। 22 जनवरी को पूरी दुनिया ऐतिहासिक क्षण (watershed moment)की गवाह बनेगी। अब मंदिर ट्रस्ट ने कर्नाटक के शिल्पकार अरुण योगीराज की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुन लिया है। इसके साथ ही अन्य एक पुरानी और दो हाल ही में निर्मित मूर्तियों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ट्रस्ट की तरफ से भी इसपर स्थिति साफ कर दी गई है।
तीन मूर्तियों में से एक का होना था चुनाव
अयोध्या में तीन अलग-अलग मूर्तियां तैयार की गई थीं। योगीराज के अलावा कर्नाटक के ही गणेश भट्ट ने काले पत्थर और राजस्थान के सत्यनारायण पांडे ने मकराना मार्बल से मूर्तियां तैयार की थी। ट्रस्ट ने अंत में योगीराज की मूर्ति को चुना। ये सभी मूर्तियां 51 इंच ऊंची थीं।
खास बात है की तीनों मूर्तियां मुंबई के कलाकार वासुदेव कामथ के बनाए स्कैच पर आधारित हैं। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र को पेंसिल से बनाए स्कैच दिखाए थे। कामत का जन्म भी कर्नाटक में हुआ है, लेकिन वह मुंबई में रहे।
बची दो मूर्तियों का क्या होगा?
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है, ‘रामलला की दो मूर्तियों को भी राम मंदिर के पहले और दूसरे तल पर विराजमान किया जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें विराजमान करने के दौरान भी पूरी तरह रीति-रिवाजों का पालन किया जाएगा।’ कहा जा रहा है कि मंदिर का पूर्ण निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा हो सकता है।
पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
फिलहाल, श्रीराम की जिस मूर्ति की पूजा की जा रही है, उसे भी राम मंदिर के गर्भगृह में ही स्थापित किया जाएगा। यहां नई मूर्ति गर्भगृह में ही रहेगी। जबकि, फिलहाल जिसकी पूजा की जा रही है उन्हें धार्मिक आयोजनों के मौके पर बाहर भी लाया जाएगा।