चंडीगढ़। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बाद अब भाजपा पंजाब में ‘खेला’ करने की तैयारी में है। लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा अब पंजाब में बड़ा दांव चलेगी।
पार्टी सूत्रों के जरिए यह बात बाहर आई है कि पंजाब में 2 बिछड़े हुए भाई एक बार फिर से एकजुट होने के लिए भाव तोलने लगे हैं। जी हां, बात हो रही है उन 2 राजनीतिक पार्टियों की, जिसमें से एक क्षेत्रीय पार्टी है तो दूसरी राष्ट्रीय पार्टी है, जो पहले बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में होते थे। ये हैं पंजाब का शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी, जिनके पंजाब में फिर से गठबंधन में आने की खबर है।
मिलकर चुनाव लड़े तो नतीजे चौंकाने वाले होंगे
सूत्रों के अनुसार, कृषि कानून के विरोध के जब देश में एक लहर चली थी, उसमें शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन बह गया था। दोनों दलों ने अपना पुराना नाखून और मांस का रिश्ता साल 2020 में तोड़ लिया था। दोनों पंजाब में अलग-अलग राहों पर चल पड़े थे, जबकि दोनों का 22 साल पुराना गठबंधन था। वहीं अब जब लोकसभा चुनाव 2024 होने वाले हैं तो उच्च सूत्रों के मुताबिक, एक बार फिर से दोनों दलों के नेता एक होना चाहते हैं। दोनों ने मिलकर पंजाब में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आ सकते हैं। वैसे भी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा NDA का कुनबा बढ़ाने की कोशिशों में जुटी है।
सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह से INDIA गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एकजुट होने की चर्चा चल रही है। उसके चलते भारतीय जनता पार्टी हाईकमान संभालकर कदम उठा रही है। भाजपा तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने की राह पर आगे बढ़ते हुए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, इसलिए पंजाब में फिर से अकाली दल से गठबंधन की रूपरेखा बनने लगी। पिछले कई महीनो से पर्दे के पीछे दोनों दलों के बड़े नेताओं की आपस में बातचीत चल रही थी और अब यह बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, क्योंकि पंजाब में अब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की ‘पंजाब बचाओ’ यात्रा को काफी जन समर्थन मिलने लगा है।
भारतीय जनता पार्टी भी अपने हिंदू वोट बैंक को अकाली दल के सिख वोट बैंक के साथ मिलाकर पंजाब में फिर गठबंधन का झंडा फहराना चाहती है। क्योंकि जब दोनों दलों ने गठबंधन तोड़कर अलग-अलग चुनाव लड़ा तो नुकसान हुआ। अकाली दल और भाजपा का वोट बैंक किसान आंदोलन की चपेट में आने से आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट हो गया। अब जिस तरह से समीकरण बदल रहे हैं, उसी हिसाब से दोनों पार्टियों के कैडर मजबूर हो गए हैं कि पंजाब में गठबंधन हो जाना चाहिए, जो दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए शुभ संकेत हो सकते हैं। वैसे भी राजनेताओं की दलील है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वापस आ सकते है तो अकाली दल वापस क्यों नहीं आ सकता?
Ram Ram friends,
BREAKING NEWS:
In #Punjab Akali Dal all set to join NDA. #AkaliDal on 7-8 seats
BJP on 5-6 seats#BJP must fight on following:Hoshiarpur
Gurdaspur
Amritsar
Ludhiana
PatialaPlus one more.
Also, Chandigarh as always Akali Dal must support BJP
— Randeep Sisodia (@Randeep_Sisodia) February 9, 2024
8-5 के अनुपात में होगा सीटों का बंटवारा
दूसरी ओर, सुखबीर बादल की ‘पंजाब बचाओ’ यात्रा से 2 फायदे होने वाले हैं। एक तो लोगों के बीच जाकर उनको पता चल जाएगा कि कौन से नेता की कहां पर जमीनी पकड़ है। दूसरा जो पार्टी वर्कर रूठे हुए हैं या घर बैठ गए थे, उनको अपने साथ जोड़ कर यात्रा का हिस्सा बनाया जाएगा। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अकाली दल पंजाब में भाजपा का बड़ा भाई बना रहेगा और चर्चा है कि 8 सीटों पर अकाली दल और 5 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ सकती है, लेकिन पुरानी सीटों पर बदलाव हो सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि परदे के पीछे की राजनीति को भाजपा हाईकमान और अकाली दल परदे के आगे कब लाते हैं, जो संभावना है कि जल्द ही रिलीज हो जाएगी।