मुंबई. लोकसभा चुनाव के बाद से ही महाराष्ट्र की सियासत में उथल पुथल होने की संभावना जोर पकड़ रही है. हालांकि ऐसा अब तक हुआ नहीं है पर माना जा रहा है कि जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है. इन्हीं कयासों के बीच शनिवार को एक मीटिंग में चाचा शरद पवार का सामना अपने भतीजे अजित पवार से हुआ. मीटिंग में अजित जैसे ही पहुंचे चाचा शरद पवार खड़े हो गए. महाराष्ट्र के सियासी हलकों में इस घटना की खासी चर्चा है कि आखिर शरद पवार ने ऐसा क्यों किया?
शरद पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने इसके पीछे की वजह बताई है. सुले ने उसी शाम को पिंपरी चिंचवड़ की एक रैली में कहा कि वह प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए खड़े हुए और सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए. दरअसल जिस बैठक में हिस्सा लेने के लिए शरद पवार पहुंचे थे, उसकी अध्यक्षता अजित पवार कर रहे थे. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अजित पवार की घर वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं. हाल ही में शरद पवार से जब ये पूछा गया था कि क्या अजीत पवार के लिए आपकी पार्टी में कोई जगह है और उन्हें पार्टी में शामिल किया सकता है? इस पर पवार ने कहा कि इस तरह के फैसले व्यक्तिगत स्तर पर नहीं लिए जा सकते. दरअसल, चाचा से अलग होकर अजीत पवार खुद को साबित करने में पूरी तरह से फेल रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में अजित की एनसीपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. तीन सीट वो हार गए. इसके बाद से बीजेपी में अजित की पूछ कम हो गई है. इसके चलते उनके नेताओं में सियासी बेचैनी दिख रही है. अगले दो से तीन महीने में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव है. अजित पवार किस करवट बैठेंगे, एनडीए के साथ ही चुनाव लड़ेंगे या चाचा की तरफ पलटी मारेंगे, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है.
शनिवार को पुणे में हुई जिला विकास परिषद की बैठक में अजित पवार ने सुप्रिया सुले की जमकर तारीफ की थी. वहीं, बैठक के बाद अजित गुट के नेता अतुल बेंके ने शरद पवार से मुलाकात की. मुलाकात के बाद बेंके ने कहा कि अजित पवार और शरद पवार एक साथ आ सकते हैं. बेंके के इस बयान ने महाराष्ट्र में सियासी माहौल को गरमा दिया है. राज्य में विधानसभा चुनाव अभी ढाई महीने दूर हैं.