नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संदेशखाली मामले की सीबीआई या एसआईटी जाँच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। देश की शीर्ष अदालत ने कहा हाईकोर्ट पहले ही इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान ले चुका है।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘एचसी ने मामले को समझ लिया है। यह दोहरे मंच पर सुनवाई नहीं हो सकती। आइए देखें कि एचसी क्या राहत देता है। पीठ ने संदेशखाली मामले की तुलना मणिपुर की स्थिति से करने पर आपत्ति व्यक्त की।
हाई कोर्ट को मामले की जिम्मेदारी लेने की अनुमति मिली
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए स्वतंत्र रूप से स्थिति का आकलन करने की पहल की है। एसआईटी जांच का आदेश देने की अपनी क्षमता को पहचानते हुए, उच्च न्यायालय का लक्ष्य पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिका वापस ले ली, जिससे हाई कोर्ट को मामले की जिम्मेदारी लेने की अनुमति मिल गई।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्रवाई की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर मॉडल के साथ समानताएं बनाते हुए, संदेशकली मामले की निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की निगरानी के लिए विभिन्न राज्यों के तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा। यह सुझाव निष्पक्ष जांच की मांग के अनुरूप है। याचिका वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दायर की थी। याचिका में न केवल पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की गई बल्कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी मांग की गई।
भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही
बता दें कि भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि संदेशखाली में यौन उत्पीड़न के मामलों के मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बीजेपी विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। एएनआई ने उनके हवाले से कहा, “शेख शाहजहां की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हम आने वाले दिनों में कम से कम 72 घंटे लंबा विरोध प्रदर्शन करेंगे। विरोध का संभावित दिन 22 फरवरी है।