गोरखपुर। हाल ही में मरीज को प्राइवेट नर्सिंग होम में बेचे जाने के मामले में डॉक्टर समेत आठ लोगों को जेल भेजने के बाद पुलिस ने एक और गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह में शामिल बिना डॉक्टर के चल रहे यूनिवर्सल हॉस्पिटल के संचालक उमेश कुमार, मेडिकल कॉलेज के दो वार्ड ब्वॉय, एक सिक्योरिटी गार्ड समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि मेडिकल कॉलेज के पूछताछ केंद्र के कुछ कर्मचारी भी गिरोह का हिस्सा हैं, जिनके भूमिका की जांच की जा रही है।
बिना डॉक्टर चल रहा था हॉस्पिटल
एसएसपी डॉ। गौरव ग्रोवर और एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि सीएमओ व एसीएमओ द्वारा यूनिवर्सल हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज रोड के पंजीकरण एवं मानकों की जांच की गई। इस दौरान तीन मरीज भर्ती मिले थे, लेकिन डॉक्टर कोई भी नहीं था। पता चला कि जिसके नाम पर पंजीकरण हुआ था, वह डॉक्टर चार महीने पहले ही छोड़ चुके हैं। हॉस्पिटल में उमेश, परसवा, संतकबीरनगर मिले, जिनकी स्वास्थ्य विभाग से संबंधित कोई डिग्री नहीं थी। जिनके द्वारा बताया गया उक्त हास्पिटल को बड़े भाई महेश कुमार द्वारा संचालित किया जाता है।
पुलिस ने किया 7 को अरेस्ट
पुलिस ने संतकबीरनगर के कोतवाली के मरीजगंज, परसवा निवासी उमेश कुमार, कुशीनगर के पडऱौना थाना क्षेत्र के कुरमौल निवासी बिट्टू यादव, चिलुआताल के फतेहपुर निवासी मोहम्मद असलम, गुलरिहा के मोगलहा निवासी शद्गहेंद्र, बिहार के महरौली, हाल पता चिलुआताल, डिटहवा निवासी शहनवाज, गुलरिहा के मोगलहा निवासी उमेश भारती, गुलरिहा के भकटोलिया निवासी दीनदयाल के रूप में हुई है।
पूछताछ काउंटर से शुरू होती है खरीद फरोख्त
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि यह मेडिकल कॉलेज के पूछताछ काउंटर से ही मरीज के खरीद-फरोख्त का काम शुरू हो जाता है। जैसे ही बाहर से आने वाला मरीज का तीमारदार वार्ड के बारे में जानकारी लेने के लिए पूछताछ केंद्र पर जाता है, उसे बेड खाली न होने या फिर बेहतर सुविधा न होने की दलील दी जाती है। कई मरीज तो यही से नर्सिंग होम चले जाते थे। इसके बाद बाद अगर मरीज अंदर गया तो फिर स्ट्रेचर वाला, गार्ड उसे यहीं बात बताते थे। यहां तक भी मरीज बात नहीं माना और अंदर भर्ती हो ही गया तो फिर वार्ड व्वॉय, सफाई वाले उसे हर हाल में बरगला ही देते थे। मरीज के तैयार होने के बाद लोग बाहर बेच दिए जाते है। उमेश संचालक है। बिट्टू यादव, मोहम्मद असलम वार्ड में घूमकर बरगलाए गए मरीज को लेकर नर्सिंग होम जाते थे। उमेश भारती गार्ड, जबकि दीनयाल, और महेंद्र वार्ड व्वॉय हैं।
दस और नर्सिंग होम राडार पर
आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मरीज को बाहर भी बड़े नर्सिंग होम पर लाया हाता है। उसे ऐसे नर्सिंग होम का नाम बताया जाता है, जो प्रतिष्ठित है। उसी विश्वास पर बाहर लोग आते हैं और फिर बाहर आते ही तीमारदार को मरीज माफिया गिरोह में शामिल लोग महंगा इलाज बताकर बेहतर और सस्ता इलाज कराने का झांसा देकर सेटिंग वाले अस्पताल में लेकर चले जाते हैं। पुलिस की जांच में सामने है कि शहर के दस और नर्सिंग होम भी है, जो इसी तरह से संचालित किए जा रहे हैं।
किराए पर लेकर कर रहे कॉमर्शियल यूज
जितनी बार भी जांच में फर्जी नर्सिंग होम सामने आए हैं, उसमें से अधिकतर किराये के भवन में ही होता है, इसलिए मकान मालिक को भी चाहिए कि अगर वह किसी को किराये पर अस्पताल चलाने के लिए दे रहे हैं तो वह कम से कम एक साल का एग्रीमेंट करें और यह जरूर देखे कि जिस अस्पताल के संचालन को दे रहे हैं, उसमें कोई डॉक्टर है या नहीं। क्योंकि, भवन का कॉर्मिशियल उपयोग किया जा रहा है, वह भी बिना लिखा पढ़ी है। ऐसे में भविष्य में सुधार नहीं हुआ तो पुलिस ऐसे मकान मालिक पर भी कार्रवाई करेगी।
– डॉ. गौरव ग्रोवर, एसएसपी