केशव भूमि नेटवर्क / पालघर : पालघर में बुधवार को देर शाम मछुवारा समाज की तरफ से पारंपरिक वेशभूषा और नाच गाने के साथ केलवे गाँव समेत जिले के अन्य समुंद्र तटीय गांवो में नारियल पूर्णिमा का त्यौहार बडे़ धूमधाम से मनाया गया । समुंद्र देवता यानि वरुण देवता को समर्पित सभी मछुआरों का यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।नारली पूर्णिमा उत्सव, जिसे नारियल दिवस के रूप में भी जाना जाता है|
वही इस अवसर पर महाराष्ट्र मच्छीमार कृति समिति के कार्याध्यक्ष रामकृष्णा तांडेल ने कहा की यह पर्व मछुआरा समुदाय के लिए आनंद और धन से भरा होता है|नराली पूर्णिमा को महाराष्ट्र और आसपास के कोंकणी क्षेत्रों में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। क्योकि नारियल इस दिन एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। इस त्यौहार के दौरान लोग समुद्र को नारियल चढ़ाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन के बाद हवा की ताकत और उसकी दिशा मछली पकड़ने के पक्ष में बदल जाती है। मछुआरा समुदाय के लोग समुद्र में नौकायन करते समय अवांछित घटनाओं को दूर करने के लिए इस त्यौहार को मनाते हैं । मछुआरे पानी में एक सुगम यात्रा के लिए समुद्र-देवता यानि वरुण देवता की नृत्य और गायन के साथ पूजा करते हैं। क्योंकि नृत्य और गायन इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है। जिसके बाद मछुआरे समुंद्र मछली पकड़ने की शुरुआत इसी दिन से भगवान इंद्र और वरुण की पूजा करने के बाद करते हैं।
दो महीने बंद रहता है मछली पकड़ने का काम
सरकार द्वारा जरी किये गए गाईड लाईन के मुताबिक एक जुलाई से 31 अगस्त तक यानि दो महीने मछली पकड़ने का काम बंद रहता है|मानसून का यह दो महिना मछलीयों के प्रजनन और अंडा देने के लिए महत्वपूर्ण महिना होता है | जिसके कारण मछुवारे समुंद्र में मछली नही पकड़ते है |