नई दिल्ली । भारत की विवादित मॉडल में से एक पूनम पांडेय की मौत की खबर आ रही है. पूनम ने वर्ल्ड कप जीतने पर इंडियन क्रिकेटर्स के सामने न्यूड होने का ऑफर दिया था और हमेशा ही ऐसे सनसनीखेज बयानों के चलते हमेशा सुर्खियों में रहती थीं।
बताया जा रहा है कि पूनम पांडेय सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही थीं और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया. दिलचस्प है कि 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्क सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला किया था, ताकि महिलाओं को इस कैंसर से बचाया जा सके. आइए जानते हैं कितना खतरनाक होता है सर्वाइकल कैंसर?
सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं की मौत सबसे ज्यादा?
सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे खतरनाक कैंसर है. जिसकी वजह से हर साल हजारों महिलाओं की जान चली जाती है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की भारत को लेकर रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर साल करीब 1 लाख 30 हजार महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर डिटेक्ट होता है और इनमें से हर साल करीब 74 हजार महिलाओं की जान चली जाती है जो कि संक्रमण का लगभग 62 फीसदी है. ऐसे में यह ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला और भारत का पहला सबसे ज्यादा मृत्यु दर वाला कैंसर है।
पीजीआई चंडीगढ़ और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजों में दो दशक से ज्यादा प्रोफेसर रहीं जानी मानी गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शारदा जैन बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) के कारण होता है. एचपीवी शरीर में प्रवेश करके गर्भाशय के अंदरूनी हिस्से में संक्रमण करता है और बिना कोई लक्षण प्रकट किए यह बढ़ता जाता है और कैंसर का रूप ले लेता है. हालांकि 70 फीसदी महिलाओं में यह 30 साल की उम्र तक डायग्नोस हो जाता है।
क्यों होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से हाई रिस्क ह्यूमन पैपिलोमा वायरस समूह टाइप्स के इन्फेक्शन की वजह से होता है और शारीरिक संपर्क के बाद एक दूसरे में ट्रांसमिट होता है।
क्या होते हैं लक्षण?
डॉ. शारदा कहती हैं कि सर्वाइकल कैंसर का पता हेल्थ एक्सपर्ट स्क्रीनिंग से ही लगा सकते हैं. इसका कोई प्रकट लक्षण नहीं दिखाई देता. यही वजह है कि यह सालों-साल छुपा रहता है और भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्टेज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्ट हो पाता है. तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं।
ऐसे बच सकती है जान
डॉ. शारदा जैन जोर देकर कहती हैं कि यह कैंसर 100 फीसदी प्रिवेंटेवल है और इस बात को सभी को समझ लेना चाहिए. हालांकि इससे बचाव का उपाय भी सिर्फ वैक्सीन ही है जो कि छोटी बच्चियों और बच्चों को इसके इन्फेक्शन फेज से पहले ही लगवा देनी चाहिए. भारत में बनी सर्वाइकल कैंसर की सीरम इंस्टीट्यूट की सर्वावैक वैक्सीन 98 फीसदी कारगर है, लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि इसे फिजिकल इंटरकोर्स या शारीरिक संबंध बनाने से पहले लगा देना चाहिए. लड़कियों में इसे 9 से 14 साल की उम्र तक लगा देना बेस्ट है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद टीका नहीं लगवाया जा सकता. 46 साल की उम्र तक यह टीका लगवा सकते हैं और यह निश्चित रूप से बचाव करेगा. इसके अलावा समय समय पर स्क्रीनिंग कराना भी इस कैंसर से बचने के लिए एक विकल्प हो सकता है।