दिव्या 19 साल की उम्र में 21 फिल्में कर बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस में गिनी जाने लगी थीं। 18 साल की उम्र में शादी कर उन्होंने सबको चौंका दिया था, मगर एक हादसे में 1993 में उनकी मौत हो गई।उनकी मौत के बात कई थ्योरी सामने आई। किसी ने उनकी मौत को मर्डर बताया तो किसी ने सुसाइड, लेकिन आज भी यह गुत्थी सुलझ नहीं पाई है।
एक आदमी ने दिव्या को नकली गुड़िया समझ लिया था
दिव्या भारती का जन्म 25 फरवरी 1974 को मुंबई में ओम प्रकाश भारती और मीता भारती के घर हुआ था। दिव्या का एक भाई कुणाल और एक सौतेली बहन पूनम थीं। पूनम पिता की पहली पत्नी से जन्मीं थीं। दिव्या बचपन से ही इतनी चुलबुली थीं कि सभी बच्चों में अलग नजर आती थीं।
वो बिल्कुल गुड़िया जैसी दिखती थीं। एक बार तो रियल में एक शख्स ने उन्हें गुड़िया समझ लिया था। दरअसल, एक बार उनकी मां ने दिव्या को कार के बोनट पर बैठा दिया और कार में सामान रखने लगीं। तभी बगल से गुजरे एक आदमी ने पूछा कि उन्होंने बोनट पर बैठी गुड़िया कहां से ली है। तब उनकी मां ने हंसते हुए जवाब दिया कि वो गुड़िया नहीं बल्कि उनकी बेटी दिव्या हैं।
पढ़ाई में कमजोर रहीं, इस कारण फिल्मों के लिए हामी भरी
पढ़ाई की बात करें तो दिव्या इसमें बिल्कुल कमजोर थीं। जैसे-तैसे करके वो बस पास हो जाती थीं। यही एक बड़ी वजह रही कि उन्होंने पढ़ाई छोड़ एक्टिंग में आने का फैसला किया। हालांकि हिंदी, मराठी और इंग्लिश भाषा पर उनकी पकड़ बहुत अच्छी थी।
फिल्मों के ऑफर मिले, लेकिन बाद में निकाला गया
1988 में जब दिव्या 14 साल की थीं तो उन्हें फिल्ममेकर नंदू तोलानी ने फिल्म गुनाहों के देवता ऑफर की थी। इस फिल्म से वो फिल्मों में एंट्री लेने वाली थीं, लेकिन उनके पिता ने उम्र का हवाला देकर मना कर दिया। बाद में उनकी जगह संगीता बिजलानी को कास्ट किया गया।
इस बाद को कुछ ही दिन बीते थे कि एक दिन वीडियो लाइब्रेरी में गोविंदा के भाई कीर्ति कुमार की नजर दिव्या पर पड़ी। दिव्या को देखते ही वो उनकी खूबसूरती पर मोहित हो गए। फिर कीर्ति कुमार ने उन्हें फिल्म राधा का संगम में गोविंदा के साथ कास्ट करने का मन बना लिया।
पढ़ाई से छुटकारा पाने के लिए दिव्या ने परिवार को मनाया और फिल्म साइन कर ली। इसके लिए उन्होंने महीनों तक डांस और एक्टिंग क्लासेस भी लीं, लेकिन आखिरी समय में उनकी जगह जूही चावला को साइन किया गया।
फिल्म से उन्हें निकाले जाने पर कई तरह के कयास लगाए गए। कुछ का कहना था कि फिल्म के डायरेक्टर एक न्यूकमर पर रिस्क नहीं लेना चाहते थे। कुछ का यह भी कहना था कि दिव्या और गोविंदा का अफेयर शुरू हो गया था और यह बात कीर्ति कुमार को कतई पसंद नहीं आई।
पहली ही फिल्म से टाॅलीवुड में छा गई थी
1990 में डी. रामानायडू अपने बेटे वेंकटेश को लेकर फिल्म बोबली राजा बना रहे थे। यही वो फिल्म थी जिससे दिव्या भारती ने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। ये एक हिट फिल्म थी और आज भी तेलुगु की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक है। इस फिल्म के 3.5 करोड़ टिकट बिके थे। इसके बाद दिव्या कई बेहतरीन फिल्मों में नजर आईं।
स्टारडम इस कदर बढ़ रहा था कि उनका नाम टाॅप तेलुगु एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल हो गया। 1991 वो साल था जब साउथ बाॅक्स ऑफिस पर दिव्या की तुलना फेमस एक्ट्रेस विजया शांति से की जाने लगी। टाॅलीवुड में दिव्या का क्रेज इस कदर बढ़ गया था कि घर के बाहर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर की लाइन लगी रहती थी।
1992 में किया बॉलीवुड डेब्य
साउथ फिल्मों में दिव्या की दमदार एक्टिंग को देखकर बॉलीवुड के फिल्ममेकर भी उन्हें अप्रोच करने लगे थे। इसके बाद उन्होंने 1992 में रिलीज हुई फिल्म विश्वात्मा से बॉलीवुड डेब्यू किया। ये फिल्म सुपरहिट रही और इसी फिल्म से हिंदी दर्शकों ने भी दिव्या को स्वीकार कर लिया।
इस फिल्म के रिलीज के एक हफ्ते बाद ही दिव्या की दूसरी फिल्म दिल का क्या कसूर रिलीज हुई। हालांकि यह फ्लॉप रही। इसी साल दिव्या डेविड धवन की फिल्म शोला और शबनम में गोविंदा के साथ नजर आईं। ये दिव्या की पहली बड़ी हिट फिल्म थी। इसके बाद 1992 में ही दिव्या फिल्म दीवाना, जान से प्यारा, दिल आशना है, बलवान, दिल ही तो है, दुश्मन जमाना, गीत जैसी 10 फिल्मों में नजर आईं।
परिवार को बिना बताए 18 की उम्र में दुल्हन बनीं
फिल्म शोला और शबनम के सेट पर ही दिव्या की पर्सनल लाइफ में बड़ा टर्निंग पॉइंट आया। इसी फिल्म के सेट पर यंग प्रोड्यूसर साजिद नाडियाडवाला, गोविंदा से मिलने आए थे। तभी उनकी नजर दिव्या भारती पर पड़ी, जिसे देखते ही उन्हें पहली नजर का प्यार हो गया। बिना वक्त गंवाए साजिद ने दिव्या को शादी के लिए प्रपोज कर दिया। उन्होंने भी साजिद का यह प्रपोजल खुशी-खुशी अपना लिया।
दिव्या को डर था कि उनके पेरेंट्स इस रिश्ते के लिए हामी नहीं भरेंगे। ऐसे में दोनों ने 10 मई 1992 को घर में ही कुछ दोस्तों की मौजूदगी में निकाह कर लिया। मुंबई की तुलसी बिल्डिंग में हुई इस शादी में सिर्फ दिव्या की हेयरड्रेसर, दोस्त संध्या, संध्या का पति, काजी शामिल हुए थे। साजिद से शादी करने से पहले दिव्या ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम सना रख लिया।
1993 आने तक 21 फिल्में कर दिव्या बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस में गिनी जाने लगी थीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मजूंर था। 5 अप्रैल 1993 को दिव्या ने इस दुनिया को अलविदा कर दिया।
अब जानते हैं उनकी मौत से जुड़े किस्से…
5 अप्रैल 1993 को दिव्या हैदराबाद से मुंबई दोपहर बाद लोटी थीं और उसी दिन उन्होंने फ्लैट की डील को फाइनल किया था। इस डील से वो बेहद खुश थीं क्योंकि उस समय वो वर्सोवा के तुलसी अपार्टमेंट के पांचवें फ्लोर पर किराए के फ्लैट में रहती थीं जिसे उनके पति साजिद नाडियाडवाला ने उन्हें दिलाया था।
घर की डील हो जाने की वजह से वो बेहद खुश थीं इसलिए उन्होंने अगले दिन शूटिंग को टाल दिया। तभी शाम को अचानक उनके पास फैशन डिजाइनर नीता लुल्ला का काॅल आया कि वो फिल्म आंदोलन की ड्रेस को फाइनल करने के लिए उनसे मिलना चाहती हैं। दिव्या और नीता बहुत अच्छी दोस्त थीं और उन्होंने कई सारी फिल्मों में दिव्या की ड्रेस को डिजाइन किया था।
शाम को नीता अपने पति श्याम लुल्ला के साथ दिव्या के घर आईं। इसके बाद दिव्या, नीता और उनके पति श्याम ड्राइंग रूम में बैठकर ड्रेस को फाइनल करने लगे। वहीं किचन में नौकरानी अमृता जो दिव्या को बचपन से ही जानती थी, वो मेहमानों के लिए खाने का इंतजाम कर रही थी।
इधर ड्राइंग रूम में बैठे तीनों शराब पी रहे थे। देखते ही देखते रात के 11 बज गए। तभी दिव्या उठकर किचन में गईं और वहां पर 12 इंच की खिड़की पर बैठने की कोशिश करने लगीं। तभी अचानक वो पांचवें मंजिल से गिर गईं। वो जैसे ही गिरीं, उनकी नौकरानी तेज-तेज चिल्लाने लगी, तभी ड्राइंग रूम में बैठे नीता और श्याम भी भागकर नीचे गए। इसके बाद दिव्या को पास के कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया। अस्पताल ले जाते वक्त वो जिंदा थीं, लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।गौर करने वाली बात ये भी है कि उस खिड़की पर ग्रिल नहीं लगा था। खिड़की के नीचे पार्किंग लाॅन था, जहां पर रोज गाड़ियां खड़ी रहती थीं, लेकिन उस दिन एक भी गाड़ी नहीं खड़ी थी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दावा- मौत एक्सीडेंट थी
दिव्या की मौत की खबर पूरी फिल्म इंडस्ट्री में फैल गई। जहां कुछ लोग इसे सुसाइड बताने लगे, वहीं कुछ लोगों ने इसे मर्डर बताया। निधन के बाद इस मामले की पूरी जांच वर्सोवा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने की। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ये दावा किया गया कि दिव्या की मौत महज एक एक्सीडेंट थी। उन्होंने बहुत ज्यादा शराब पी ली थी जिस वजह से वो खुद को संभाल नहीं पाईं और खिड़की से गिर गईं। 7 अप्रैल 1993 को दिव्या का अंतिम संस्कार मुंबई के विले पार्ले में हुआ था।
दावा- पति का नाम अंडरवर्ल्ड से जुड़ने की वजह से डिप्रेशन में थीं
कई लोगों ने यह दावा किया था कि दिव्या लंबे समय से डिप्रेशन में थीं। वजह यह थी कि उनके पति साजिद का नाम अंडरवर्ल्ड से जोड़ा जा रहा था, जिस वजह से वो बहुत परेशान रहती थीं। वहीं शादी के बाद सास के साथ उनके रिश्ते भी खास अच्छे नहीं थे और इस बात से उन्हें बहुत दुख होता था।यह भी कहा जा रहा था कि अगर उन्हें सुसाइड करना होता, तो वो उसी दिन क्यों अपने लिए घर का डील फाइनल करतीं। उनके भाई और नौकरानी ने बताया था कि वो मौत के दिन सुबह से बहुत ही ज्यादा खुश थीं।
वो सबूत जिन्होंने हत्या का शक पैदा किया
फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों का यह भी कहना था कि दिव्या का मर्डर हुआ है। जब इस एंगल से केस की जांच की गई, तब पता चला कि जिस खिड़की से गिर कर उनकी मौत हुई थी, उस खिड़की में ऑटो- स्टॉपर नहीं लगे थे। जबकि उस बिल्डिंग की सभी खिड़कियों में ऑटो-स्टॉपर लगे थे।
5 साल बाद आया फैसला, मौत को बताया गया हादसा
पुलिस इसके बाद 5 साल तक जांच करती रही। फिल्म इंडस्ट्री के कई लोगों से पूछताछ की गई। दिव्या के पति साजिद नाडियाडवाला सबसे ज्यादा शक के घेरे में रहे। फिर 1998 में इस बात पर आधिकारिक पुष्टि की गई कि दिव्या की मौत सिर्फ एक हादसा थी। शक के घेरे में रहे सभी लोगों को पुलिस ने क्लीन चिट दे दी।
मौत के पहले खुद को सिगरेट से जलाया था, एक बार हाथ भी काटा था
दिव्या की मौत के बाद उनकी मां ने खुलासा किया था कि दिव्या गुस्से में खुद को चोट पहुंचाती थीं। मौत से पहले भी उन्होंने सिगरेट से खुद को जलाया था। मौत के कुछ महीने पहले, वो अमेरिका गई थीं। वहां किसी बात से परेशान होकर उन्होंने खुद को सिगरेट के टुकड़ों से जलाया था। वो निशान उनकी मौत के वक्त भी थे।