कोलकाता। महिला द्वारा छेड़छाड़ का आरोप लगाए जाने पर विवाद गहराता जा रहा है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस पर लगाए आरोप के इस मामले में राजनीतिक हलचल तेज है। इस बीच बोस ने गुरुवार को महिला के कथित उत्पीड़न के मामले में करीब 100 लोगों को दो मई के परिसर के सीसीटीवी फुटेज दिखाए हैं।
राजभवन के भूतल पर मौजूद हॉल में लोगों को दो मई की दो सीसीटीवी कैमरों का फुटेज दिखाया गया है। बताया जा रहा कि राजभवन के मुख्य गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज दिखाए जा रहे थे और स्क्रीनिंग चल रही थी। राजभवन में संविदा पर नियुक्त महिला कर्मचारी ने राजभवन में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कोलकाता पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी। महिला की शिकायत के आधार पर कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। बोस ने बुधवार को कहा था कि वे सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग कोलकाता पुलिस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नहीं दिखाएंगे।
खबर के मुताबिक पुलिस ने राजभवन के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन पहले दिन कोई पेश नहीं हुआ। राज्यपाल ने भी कथित तौर पर कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि इस मामले में पुलिस का सहयोग नहीं करना है। बुधवार को राजभवन से जारी बयान में आरोप लगाया गया था कि पुलिस मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशों के तहत काम कर रही है। ऐसे में वह संबंधित सीसीटीवी फुटेज इन दोनों को छोड़कर 100 लोगों को दिखाने के लिए तैयार हैं। राजभवन की तरफ से सोशल मीडिया हैंडल- एक्स पर जारी बयान में कहा गया था कि पुलिस के आरोप मनगढ़ंत हैं। इसका पर्दाफाश करने के लिए राज्यपाल ने ‘सच के सामने’ कार्यक्रम शुरू किया है। पुलिस की जांच को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए राजभवन ने कहा था कि एक घटना की सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखाए जाने के आरोप सही नहीं हैं।